skip to main
|
skip to sidebar
Monday, 2 July 2007
मुझसे मिल कर
तेरे होंठों से लग कर यह हवा शराब बन गयी
आंखों से लग कर यह हिजाब बन गयी
और गालों से लग कर यह गुलाब बन गयी
सच ही कहती है यह दुनिया जानेमन
कि तू मुझसे मिल कर लाजवाब बन गयी
.........विनायक
Newer Post
Older Post
Home
माझ्या बद्दल
एक मन
कोल्हापुर, महाराष्ट्र, India
मनातल्या भावनांना उगच वाट करुन दिली, कालच आणलेली कोरी वही लेगेचच भरुन गेली, बघता बघता हा नवा छंद जडला, शब्दांशी खेळतांना,आय़ुषाचा एक डाव सरला..
View my complete profile
कविता
▼
2007
(29)
►
October
(1)
▼
July
(10)
त्यादिवशी
तिला कळतच नाही
चाहत
आस.................
विनायक
९९७५०५८९४९
लडकी - लड़का
शायरी
मुझसे मिल कर
लग्नाआधीचे
►
June
(18)
Search
Enter your search terms
Submit search form
AdSense for Content